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न्याय बिकता है

तूणीर
तूणीर
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“न्याय बिकता है ” एक अति लघु नाटक है जो वर्तमान में न्याय के उड़ते मखोल पर चोट करता है | न्याय का बाज़ार सजा हुआ है | पैसा है तो खरीद लो इसे, पॉवर है तो छीन लो इसे | ये उन गरीबों के लिए नहीं है जो १०० की चोरी पर १००० कोड़े खाते हैं | ये उनके लिए है जो मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए हैं | जो करोडो हजम कर जाते हैं पर डकार तक नहीं लेते |

चरित्र जज साहब, कपिल सिब्बल, गरीब किसान दीना और उसका वकील सुरेश …
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सीन

(किसान दीना के खेत पर प्रधान ने कब्जा कर लिया है | सुनवाई हो ही रही थी कि सिब्बल साहब का फ़ोन आ जाता है)

कपिल सिब्बल :- “हेल्लो हजूर, .. माईबाप हैं का ?

जज साहब :- कहिये क्या हुआ ??
कपिल सिब्बल :- गजब हो गया साहब, जुलम हो गया | लूट की थी पर अब खुदै ही लुट गये हजूर | बचा लीजिये | अब आपै का ही सहारा है |
जज साहब :- अरे कुछ आगे भी कहिये जनाब | हुआ क्या है कुछ तो बताइए ?
कपिल सिब्बल :- हुआ क्या जनाब | चंदा हुआ था | डायन खा गयी | आरोप मा मैय्या जी को पकड़ लिये हैं | कहते हैं आज ही पवित्तर करेंगे | आज ही सती करेंगे |
जज साहब :- अरे ठंडा पानी पीजिये सिब्बल साहब और साफ साफ कहिये कि बात क्या है ?
कपिल सिब्बल :- गुजरात मा आग लगी थी हजूर | सती मैय्या बेघरन काजे आगे आई | खून पसीना एक करकै पाई पाई जोड़ी | चंदा किया था पर खसम ने आकै खेल बिगाड़ दिया | सब खा गया साहब कच्छओ नहीं बचा |
जज साहब :- (आखें चमकाते हुए) अब आया थोड़ी थोड़ी समझ में | आप गुजरात दंगो की बात कर रहे हैं |
कपिल सिब्बल :- नहीं माईबाप गुजरात दंगो से आगे की बात कर रहे हैं |
दीना :- (हाथ जोड़कर) हमाई ऊ सुन लेउ साब | जोहरू बाट जोहत है | बिटवा का शरीर तप रहा है | कल से अन्न का दाना हु न गया अन्दर | माईबाप | तनी जल्दी से सुन…
जज साहब :- (गुस्से में )विल यू कीप क्वाईट | यू आर इंटरएप्टिंग द कोर्ट एक्शन | नेक्स्ट टाइम यू विल स्पीक एंड यू विल बी चार्ज फॉर कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट |
(किसान का वकील किसान की तरफ हिकारत से देखते हुए चुप रहने का इशारा करता है | कांपता हुआ किसान चुप हो जाता है | )
जज साहब :- माफ़ कीजियेगा सिब्बल साहब | हाँ तो आप क्या कह रहे थे ?
कपिल सिब्बल :- गुजरात के आगे की कहानी है साहब | तबाह घर की आंच पर जैसे तैसे तवा रखा | रोटी की जगह बोटी सेकीं | लाशो के ढेर पर बैठ मटन खाया पानी की जगह खून पिया | खाय खाय के मुटाय गई | समय के साथ भेद खुला | पता चला कि जख्मों पर मरहम लगाने वाली मदर टेरेसा की साक्षात् अवतार तो बगुला भगत है | मेंढकन को सुरक्षित दूसरे तालाब में पहुँचाने की जगह एक एक करकै निगल गयी | अब सिगरे मेढक बचा खुचा दाना पानी बचाए खातिर सरकार से जुहार करें हैं |
जज साहब :- हम्म ! सुन रहे हैं | आगे सुनाइए |
कपिल सिब्बल :- और का हजूर, खाला के मामूजान द्वारे खड़े हैं | सरकारी कंगना लाये हैं | कह रहे हैं कि बरात खातिर बहू की विदा करेंगे आज | सरकारी बंगला दिलवाएंगे | सिगरी चर्बी पिघलायेंगे |
जज साहब :- तो कर लेने दीजिये न गिरफ्तार | बेल हो जायेगा | इतना बड़ा गुनाह नहीं है गबन हमारी कानूनी किताब में |
कपिल सिब्बल :- ई का कह रहे हैं हजूर | परवरदिगार की निगाह से देश विदेश में बहुत इज्जत है | मिटटी में मिल जाई सब इज्जत |
जज साहब :- (नि:श्वास) अच्छा ! क्या सेवा कर सकते हैं हम | चाहते क्या हैं आप हमसे ?
कपिल सिब्बल :- सेकुलरिज्म खतरे में है माईबाप कुछ कीजिये |
जज साहब :- चलिए बेल दे देते हैं धर्मदेवी को | पुलिस का चाय पानी कराईयेगा | घर आएगी पूछताछ करने |
कपिल सिब्बल :- हजूर की जय हो | न्याय की जय हो | संविधान की जय हो | भारत की जय हो |
(जज साहब कलम चलाकर तीस्ता को गिरफ्तार न करने का आदेश दे देते हैं | आर्डर आर्डर कर कोर्ट बर्खास्त कर देते हैं | नेपथ्य में न्याय की देवी की मूर्ती के हाथ से न्याय का तराजू छूट जाता है | आँख की पट्टी और काली हो जाती है | गरीब किसान भूख से बेहाल बेहोश हो जाता है | जज साहब अपने घर चले जाते हैं | )
पर्दा गिरता है |

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