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नववर्ष की पशोपेश

तूणीर
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31 दिसंबर को सभी संस्कृति वादी घोर पशोपेश में रहते हैं | कारण ये कि न्यू इयर सेलिब्रेट तो करना चाहते हैं पर संस्कृति का भारी भरकम चोगा उन्हें एसा करने से रोकता है | बेचारे हमेशा मन मसोस कर रह जाते हैं | इन सब से अलहदा पडोसी तो फुल आवाज में डीजे पार्टी करता है | पर साहब चाय पीकर कुंठित मन से न्यू इयर मनाने वालों को सदा सभ्यता और संस्कृति के नाम पर कोसते ही नजर आते हैं |

new year

आज हम अपने दैनिक जीवन में अंग्रेजी कैलेन्डर को पूर्णतया आत्मसात कर चुके हैं | हिन्दू कैलेंडर तो हमें सिर्फ और सिर्फ शुभ कार्य (विवाह आदि) के समय ही याद आता है | ऐसे कितने लोग हैं जिन्हें विक्रम संवत के पुरे १२ महीने याद हैं ? कितने लोगों को पता रहता है कि इस महीने की पूर्णिमा कब है और अमावस्या कब ? कौन कौन अपना जन्मदिन हिन्दू तिथि के अनुसार मनाता है ? क्युकि ज्यादातर फेस्बूकिये हिंदूवादी तो मैंने अपना जन्मदिन अंग्रेजी कैलेंडर से मनाते देखे हैं | जब इन सब से परहेज नहीं तो फिर न्यू इयर का विरोध क्यों ?

भारत ललित कलाओं का देश है | इसकी प्रकृति सहिष्णु है | ये सभी को साथ लेकर चलने का प्रण लिए हुए हैं | यहाँ मुग़ल, तुर्क, अफगान, ईरान, और अंग्रेज आये | इन सभी ने हमारी संस्कृति को छिन्न भिन्न करने का दुश्चक्र रचा | हमारी आस्था के हर प्रतीक पर वार किये | पर हमारी सभ्यता और संस्कृति इतनी संगठित और सुदृढ है कि इन सभी को आत्मसात करने के बाद भी इसकी मूल प्रकृति अक्षुण्ण है | न्यू इयर और इस जैसे तमाम पर्व हो सकता है कि हमारी सभ्यता संस्कृति पर कोई आवरण चढ़ा दें | पर मूल जड़ पर प्रहार कर पाएंगे इसमें संदेह है |

दूसरों की खुशियों में शरीक होना सदा से हमारी परंपरा रही है | हम अपनी व्यस्त जिन्दगी से ख़ुशी ढूढने में पारंगत हैं | चार लोग मिल कर अपनी ख़ुशी और गम बांटे इसी का नाम तो समाज है | प्राचीन भारत में समाज की कल्पना ही इसी हेतु की गयी थी | और इन सब के लिए ही मेले व् त्यौहार आदि मनाने की परंपरा डाली गयी थी | हम भारतीय अपनी जिंदादिली और अपने खुले विचारों के लिए जाने जाते हैं | हर पंथ और मजहब से हमें जो अच्छा लगता है वही हम अपने धर्म में भी आत्मसात कर लेते हैं | कबीर के दोहे और नानक की वाणी इन सब के प्रमाण हैं | ऐसे में अंग्रेजी नव वर्ष का विरोध करना औचित्यहीन है |

तो आइये अपने पैरों को इन तमाम बेड़ियों से मुक्त करें | दुनिया को बता ये दें कि हमारी सभ्यता संस्कृति इतनी कमजोर नहीं कि न्यू इयर के शोर तले दब जाएगी | अंग्रेजी नव वर्ष की चार पार्टियाँ इसकी जड़े नहीं हिला सकती | इसे मनाने से इसकी महत्ता घटेगी नहीं वरन इससे इसकी महानता और भी बढ़ेगी | खुले मन से अंग्रेंजी नव वर्ष का स्वागत करें | खुशियों का एक मौका और सही | 

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